ग्वालियर किले पर 5 अप्रैल को किसान राणा मेला

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ग्वालियर. किले स्थित भीमसिंह राणा की छत्री पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष में 5 अप्रैल रामनवमी पर आयोजित किया गया है। इस दिन समूचे देश श्रद्धालु एवं किसान हितैषी नेताओं का आगमन होता है और श्रद्धांजलि अर्पित करते है। यह आयोजन पूर्णतया: गैर राजनैतिक एवं सार्वजनिक कार्यक्रम है जिसमें राष्ट्रीय स्तर के अनेक कृषि वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी समाजसेवक, किसान नेता एवं विभिन्न राज्यों के मंत्री, सांसद विधायक मेले में पधार कर किसानों एवे सदस्यों को किसान हितैषी मार्गदर्शन देते हैं सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिये निर्णायक चर्चा होती है। कृषि सबंधी समस्याअें पर विमर्श होता है सुझाव होते हैं समाज में व्याप्त कुरीतियों पर समाज के आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक एवं शेक्षणिक कल्याण के लिये प्रस्तावों पर चिन्तन, मनन होता है। जिससे लोग अखिल भारतीय किसान राणा मेला के नाम से जानते है। 
माराजा भीम सिंह राणा एवं उनके उत्तराधिकारी छत्रसिंह राणा 18 वीं शताब्दी  में अनके वर्षो तक ग्वालियर किले शासक रहे थे सन् 1756 ई. में ग्वालियर किले की तलहटी में एक छद्म युद्ध में महाराजा भीमसिंह राणा का बलिदान हुआ था और ग्वालियर किले पर ही चैत्र मास की रामनवमी को उनका अंतिम संस्कार किया गया था जहां महाराजा भीम सिंह राणा की समाधि (छत्री) बन हुई है यहां प्रतिवर्ष देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । महाराजा नरेश होते हुए भी मूलतः किसान थे किसानों के हित चिन्तक थे अतः यह श्रद्धांजलि समारोह स्वतः ही किसान राणा मेला का रूप लेता चला गया ।  

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