होटल में ऑडीशन लेना गलत-प्रदीप गर्ग

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ग्वालियर। देश में जहां एक ओर रंगमंच अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है, वहीं रंगमंच के चंद लोग उसे होटल संस्कृति में तब्दील करने में जुटे हुए है। ऐसा ही एक वाक्या आज उस समय देखने को मिला जब मध्यप्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए एक महंगे होटल में ऑडीशन लिए जा रहे थे। जबकि ग्वालियर में संगीत और कला विश्वविद्यालय तक मौजूद हैं। मध्यप्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए नये प्रवेश सत्र के लिए दो दिवसीय ऑडीशन ग्वालियर में चल रहा है इसमें युवा प्रतिभाओं को चुना जाएगा। 

दो दिवसीय ऑडीशन ग्वालियर में
उधर ग्वालियर रंगमंच से जुड़े रहे एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वीआईपी कल्चर से दूर रहने की कार्यशैली एवं नीति से प्रभावित समाज सेवी प्रदीप गर्ग ने होटल में लिए जा रहे ऑडीशन पर विरोध व्यक्त है। समाजसेवी प्रदीप गर्ग ने बताया है कि दो दिवसीय ऑडीशन के लिए शहर का एक मंहगा होटल चुना गया यह निंदनीय है। उनका कहना है कि ग्वालियर में संगीत और कला का विश्वविद्यालय हैं, वहां पर अनेक प्रतिभाएं आती रहती हैं। यहां पर तानसेन कलावीथिका भी है। ऐसे में विलुप्त हो रही नाट्य संस्कृति को जीवंत रखने के लिए होटल संस्कृति का उपयोग करना गलत है। समाजसेवी प्रदीप गर्ग ने कहा कि यदि यह ऑडीशन राजा मानसिंह संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में लिए जाने चाहिए, ताकि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी इसका लाभ मिल सके । 

विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी लाभ मिल सके
उल्लेखनीय है कि इस ऑडीशन में मुंबई से पधारे ग्वालियर निवासी एक्टर एवं राईटर पीयूष मिश्रा, एमपी स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक संजय उपाध्याय, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा नई दिल्ली से पासआउट वरिष्ठ थियेटर आर्टिस्ट नीलम गुप्ता, एमपी स्कूल ऑफ ड्रामा के अभिनय विभाग के प्रो. आलोक चटर्जी, राजा मानसिंह आर्ट एवं म्युजिक यनीवर्सिटी ग्वालियर के थियेटर विभाग के योगेन्द्र चौबे भी उपस्थित थे। 

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